आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥ प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला । जरे सुरासुर भये विहाला ॥ त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥ ब्रह्म – कुल – वल्लभं, सुलभ मति दुर्लभं, विकट – वेषं, विभुं, वेदपारं । भगवान शिव का प्रिय फूल कनेर का पुष्प https://zanderojoil.acidblog.net/60914735/not-known-factual-statements-about-shiv-chalisa-lyrics-english